Madhu varma

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लेखनी कविता -तेली कौ ब्याह - काका हाथरसी

तेली कौ ब्याह / काका हाथरसी 


भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल 
 गली-गली फेरी करै, 'तेल लेऊ जी तेल' 
 'तेल लेऊ जी तेल', कड़कड़ी ऐसी बोली 
 बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली
 कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ 
 एक साल तक तेली नहीं गाँव में आयो

 मिल्यौ अचानक एक दिन, मरियल बा की चाल 
 काया ढीली पिलपिली, पिचके दोऊ गाल 
 पिचके दोऊ गाल, गैल में धक्का खावै 
'तेल लेऊ जी तेल', बकरिया सौ मिमियावै 
 पूछी हमने जे कहा हाल है गयौ तेरौ 
 भोलू बोलो, काका ब्याह है गयौ मेरौ

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